Uncategorized

Dharm & Darshan [40] Hanuman Ashtak

बाल समय रवि भक्ष लियो तब तीनहुँ लोक भयो अँधियारो
ताहि से त्रास भयो जग को यह संकट कहु से जाट न टारो
देवन आन करि बिनती तब छांड दियो रवि कष्ट निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो
बाली के त्रास कपीश बसै गिरी जाट महाप्रभु पंथ निहारो
चौंकि महामुनि श्राप दियो तब चाहिए कौन बिचार बिचारो
के द्विज रूप लिवाय महाप्रभु सो तुम दास को शोक निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो
अंगद के संग लें गए सिय खोज कपीश रो बैन उचारो
जीवन ना बचिहौ हंसो जो बिना सुधि लीन्ह इंहां पगु धरो
हरी थके तट सिंधु सबै तब ले सिय की सुधि प्राण उबारो
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो
रावण त्रास दे सिय को तब राक्षसियों कह शोक निवारो
ताहि समय हनुमान महाप्रभु जाय महा रजनीचर मारो
चाहति सीय अशोक सो आग सो दे प्रभु मुद्रिका दुःख निवारो
को नहि जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो
बाण लाग्यो उर लक्ष्मण के जब प्राण ताजे सूत रावण मारो
ले गृह वैद्य सुषेण समेत तभी गिरी द्रोण सुवीर उपारो
लाय सजीवन हाथ दै तब लक्ष्मण के तुम प्राण उबारौ
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो
रावण युद्ध अजान किये जब नाम की फांस सबै शिर डारो
श्री रघुनाथ समेत सबै दाल मोह भयो अति संकट भारो
आणि खगेश तबै हनुमान सो बंधन काटी सो त्रास निवारो
को नहीं जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो
बंधू समेत जबै अहिरावण ले रघुनाथ पाताल सिधारो
देवी ही पूजी भली विधि सो बलि देऊ सबै मिली मन्त्र विचारो
जाय सहाय भये तब ही अहिरावण सैन्य समेत संहारो
को नहि जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो
काज किये बाद देवन के तुम वीर महाप्रभु देख बिचारो
कौन सो संकट मोर गरीब को जो तुमसों नहि जात है टारो
बेगि हरो हनुमान महा प्रभु जो कछु संकट होय हमारो
को नहि जानत है जग में कपि संकट मोचन नाम तिहारो !
लाल देह लाली लसै अस धरु लाल लंगूर
वज्र दानव दलन जय जय जय जय कपि शूर !